भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने को अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कई अहम खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में उन्हें शारीरिक दंड का सामना करना पड़ा था और जिस तरह की सजा मिली थी वह आज भी उनके जहन में जिंदा है। वह सजा उनके दिल और आत्मा पर अंकित है। चाहकर भी उस पिटाई को मैं आजतक भूल नहीं पाया हूं। दरअसल शनिवार को नेपाल में नेपाल सुप्रीम कोर्ट (Nepal Supreme Court)की ओर से किशोर न्याय पर आयोजित नेशनल सेमिनार अपने टीचर द्वारा मिली सजा का खुलासा किया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सीजेआई ने कहा कि जिस तरह से लोग बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं, वह उनके दिमाग पर स्थायी प्रभाव डालता है। चंद्रचूड़ ने बताया कि कैसे उनके हाथों पर बेंतें मारी गई थीं, जबकि उन्होंने टीचर से उनके बम यानी पीछे के हिस्से पर बेंतें मारने का अनुरोध किया था।
सीजेआई ने आगे कहा, “आप बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, इसका उनके मन पर जीवन भर गहरा प्रभाव रहता है। मैं स्कूल का वह दिन कभी नहीं भूलूंगा। मैं कोई किशोर अपराधी नहीं था, जब मेरे हाथों पर बेंतें मारी गई थीं तब मेरा अपराध क्लास में सही साइज की सुइयां नहीं लाना था। मुझे अब भी याद है कि मैंने अपने टीचर से कई बार अनुरोध किया था कि छड़ी मेरे हाथ पर नहीं बल्कि मेरे बम यानी पीछे के हिस्से पर मारें।
घर में किसी को नहीं बताई थी पिटाई की बात
सीजेआई ने कहा कि मुझे अपने माता-पिता को इसके बारे में बताने में बहुत शर्म आ रही थी। यहां तक कि अगले कुछ दिनों तक मैं चुपचाप दर्द सहता रहा और अपने शरीर पर पड़े निशान छिपाता रहा। डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, “उस घटना ने मेरे दिल और आत्मा पर एक छाप छोड़ी और वह अब भी मेरे साथ है जब मैं अपना काम करता हूं। बच्चों पर उपहास की छाप बहुत गहरी होती है।