Waiting Tickets: 1 मई 2025 से रेलवे टिकट बुकिंग में बड़ा बदलाव: वेटिंग टिकट वालों के लिए नया आदेश जारी

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NEW DELHI 01 मई 2025: 1 मई 2025 से देशभर में आम लोगों की दिनचर्या को प्रभावित करने वाले कई अहम बदलाव लागू हो गए हैं। चाहे बात हो रेलवे टिकट की बुकिंग की, बैंकिंग प्रणाली की या एटीएम लेनदेन की – इन नए नियमों ने यात्रियों और बैंक ग्राहकों को सतर्क कर दिया है।

अगर आप भी ट्रेन से यात्रा करते हैं या रोजमर्रा के बैंकिंग कार्यों के लिए एटीएम पर निर्भर हैं, तो यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि अब क्या बदल गया है।

रेलवे टिकट बुकिंग में बड़ा बदलाव: अब वेटिंग टिकट का सफर मुश्किल

भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और भीड़ नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए टिकट बुकिंग से जुड़े नियमों में बड़ा फेरबदल किया है। 1 मई से लागू नए दिशा-निर्देशों के अनुसार:

  • अब वेटिंग टिकट पर स्लीपर और एसी कोच में यात्रा नहीं की जा सकेगी।
  • केवल जनरल कोच में ही वेटिंग टिकट मान्य होंगे, जिससे कन्फर्म टिकट धारकों को बेहतर अनुभव मिल सके।
  • एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) अब 120 दिन से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है। यानी अब आप अधिकतम दो महीने पहले तक ही ट्रेन टिकट बुक कर सकेंगे।
  • टिकट कैंसिलेशन से जुड़े रिफंड नियमों में बदलाव और चार्ज बढ़ाने की भी संभावना जताई जा रही है।

इसका सीधा असर लंबी दूरी की यात्राओं की योजना बनाने पर पड़ेगा, इसलिए अब टिकट बुकिंग के समय अतिरिक्त सावधानी बरतना जरूरी हो गया है।

ATM लेनदेन महंगा: अब हर अतिरिक्त ट्रांजैक्शन पड़ेगा भारी

भारतीय रिजर्व बैंक के नए निर्देशों के तहत एटीएम से लेनदेन करने वालों को अब अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। कई प्रमुख बैंकों – जैसे PNB, HDFC – ने अपने ट्रांजैक्शन चार्ज में इजाफा किया है:

  • कैश निकासी पर शुल्क: ₹23 प्रति लेनदेन (फ्री लिमिट के बाद)
  • बैलेंस चेक: ₹7 प्रति बार (पहले ₹6)
  • गैर-वित्तीय लेनदेन: ₹11 प्रति ट्रांजैक्शन (जैसे मिनी स्टेटमेंट, पिन चेंज आदि)

अब ग्राहकों को हर महीने मिलने वाली मुफ्त ट्रांजैक्शन्स की सीमा का ध्यान रखना होगा, ताकि अनावश्यक चार्ज से बचा जा सके।

11 राज्यों में ग्रामीण बैंकों का विलय: अब ‘एक राज्य, एक RRB’ मॉडल

सरकार ने ग्रामीण बैंकिंग को और मजबूत करने के लिए 11 राज्यों में मौजूद 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को आपस में मिलाकर एक नई संरचना बना दी है। इस बदलाव के बाद:

  • देश में RRBs की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी।
  • यह कदम ‘एक राज्य, एक RRB’ की नीति के तहत उठाया गया है।
  • ग्राहकों को बैंकिंग सेवाओं में किसी तरह की रुकावट नहीं आएगी।
  • बैंक शाखाएं यथावत रहेंगी, केवल बैंक का नाम और प्रबंधन बदलेगा।

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