राज्य स्तर की पार्टियों को भी दिल्ली में मिलती है जमीन…’, HC में AAP की दलील, मंगलवार को फिर सुनवाई

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आम आदमी पार्टी (AAP) के दफ्तर के लिए केंद्रीय दिल्ली में भूमि आवंटित करने की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान AAP की ओर से पेश वकील ने कहा कि दिल्ली बीजेपी और केंद्रीय बीजेपी का अलग-अलग दफ्तर है. वहीं, ऐसी भी पार्टी है जिसे राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त होती है और उनको भी दिल्ली में दफ्तर मिलता है. प्लॉट नंबर 23-24 साल 2002 में आवंटित हुआ था और दिल्ली सरकार ने इसको बाद में पार्टी ऑफिस के लिए आम आदमी पार्टी को आवंटित किया.

 

AAP के वकील ने कहा कि जब आवंटन हुआ, तब उस जमीन पर उनका कब्जा नहीं था, लेकिन उन्होंने हमें आवंटित कर दिया. जमीन दिल्ली सरकार को आवंटित की गई और फिर हमें आवंटित की गई. कोर्ट ने कहा कि 23,24 डीडीयू मार्ग, यह जमीन जीएनसीटीडी को कब आवंटित की गई थी? वकील ने बताया कि 2002 में की गई थी.

 

कोर्ट ने पूछा कि क्या इसका आशय केवल अदालतों से था? वकील ने हां में जवाब दिया.

 

कोर्ट- मामला किस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा?

वकील- मलिक मजहर मामले में अदालत देश भर की अदालतों में बुनियादी ढांचे की निगरानी कर रही है.

 

कोर्ट- तो जमीन का रद्दीकरण SC तक पहुंच गया. अब राउज एवेन्यू की जमीन आप के कब्जे में कैसे आ गई?

 

वकील- 2015 में. एक राज्य स्तरीय पार्टी के लिए कार्यालय आवंटन के रूप में. किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई!

 

कोर्ट- कोर्ट के प्रयोजनों के लिए सरकार को जमीन आवंटित की गई थी. किसी अन्य प्रयोजन के लिए एक और भूमि आवंटित की गई थी, वह अन्य प्रयोजन क्या था.

 

वकील- इनमें से किसी भी संपत्ति का आवंटन एलजी के बिना नहीं हो सकता, इसलिए केंद्र सरकार को भी जानकारी थी कि इस जमीन पर हमारा कब्जा है.

 

कोर्ट- सारी खाली जमीन यूनियन की है या दिल्ली की? अगर ऐसा है तो यूनियन इसे दिल्ली सरकार को आवंटित कर देती है.

 

वकील- इनमें से किसी भी संपत्ति का आवंटन एलजी के बिना नहीं हो सकता, इसलिए केंद्र सरकार को भी जानकारी थी कि इस जमीन पर हमारा कब्जा है.

 

कोर्ट- सारी खाली जमीन यूनियन की है या दिल्ली की? अगर ऐसा है तो यूनियन इसे दिल्ली सरकार को आवंटित कर देती है.

 

वकील- मैं अब एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में अतिरिक्त आवास का हकदार बन गया हूं.

 

कोर्ट- वकील का कहना है कि 23,24 डीडीयू मार्ग पर जमीन का टुकड़ा दिल्ली सरकार को अदालतों के लिए आवंटित किया गया था, जिसका निर्माण 2006-09 से शुरू हुआ था. यह आवंटन 2020 में रद्द कर दिया गया. यथास्थिति जारी रही. SC में मामला उठा, कोर्ट को बताया गया कि राउज कोर्ट के पास 3.06 एकड़ जमीन अदालतों के गठन के लिए 23,24 डीडीयू के बदले में दिल्ली सरकार को आवंटित की गई है.

 

सबमिशन का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है. भारत संघ का कब्ज़ा न होना महत्वहीन है.

 

कोर्ट- क्या इस तरह से अंतरिम राहत दी जा सकती है, घर का इस्तेमाल एक मंत्री द्वारा किया जा रहा है, क्या उसे पार्टी के इस्तेमाल के लिए अस्थायी तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

 

कोर्ट- आपने कोर्ट के लिए 23,24 डीडीयू आवंटित किया था. फिर आपने राउज़ भूमि को अदालतों के लिए आवंटित किया.

 

संघ परामर्श- एवं 23,24 रद्द कर दिया गया.

 

कोर्ट- क्या आप उसके बदले कोई अन्य जमीन आवंटित नहीं करेंगे.

 

यूनियन काउंसिल- आवंटन जीएनसीटीडी को था.

 

संघ के वकील का कहना है कि किसी भूमि पर अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता है, कई पार्टियां अपने-अपने कार्यालयों से भाग रही हैं.

 

कोर्ट- वे (यूनियन) कहते हैं कि उनके लिए आपको जमीन आवंटित करना जरूरी नहीं है.

 

इस मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी.

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