आज चैत्र शुक्ल नवमी और रविवार के शुभ संयोग में सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान भगवान श्रीराम ने रघुकुल में जन्म लिया। इस पावन अवसर पर अयोध्या नगरी खुशी से झूम उठी। इस शुभ अवसर पर अयोध्या में रामलला का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है।
राम मंदिर और अन्य मंदिरों में राम के जन्म के बाद गीत-संगीत गूंज रहे हैं। भक्तजन सोहर गा रहे हैं, बधाई गीत गाए जा रहे हैं और हर कोई आनंदित है। अयोध्या में दूर-दराज से पहुंचे रामभक्त राम मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहे हैं और पूरे शहर में हर्षोल्लास का माहौल है।
सुरक्षा व्यवस्था और श्रद्धालुओं की भीड़
रामलला के जन्मोत्सव को लेकर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है, जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है ताकि भक्तगण आराम से दर्शन कर सकें। रविवार सुबह से ही अयोध्या की सड़कों पर भक्तों की भीड़ दिखने लगी। राम मंदिर में विशेष आयोजनों की शुरुआत साढ़े नौ बजे से हुई, लेकिन उससे पहले ही भक्तों का दर्शन का सिलसिला जारी था।
दर्शन, पूजा और उत्सव
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला का अभिषेक, श्रृंगार, पूजन और आरती चल रही थी। वहीं भक्तगण दर्शन कर रहे थे। ठीक 12 बजे रामलला का जन्म हुआ। रामलला का श्रृंगार भोग के बाद उनका सूर्यतिलक दोपहर 12 बजे किया गया। मंदिर परिसर में मोबाइल फोन प्रतिबंधित होने के बावजूद श्रद्धालु बाहर जाते समय या दर्शन के दौरान तस्वीरें ले रहे थे और इस दिव्य अवसर का आनंद ले रहे थे। सुबह के समय श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा नहीं थी, जिससे लोग आराम से दर्शन कर पाए। श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का रास्ता रामजन्मभूमि पथ से तय किया गया है और गेट नंबर तीन से उन्हें बाहर निकाला जा रहा है। अंगद टीला पर बने पुराने निकासी मार्ग को बंद कर दिया गया है, लेकिन दर्शन के बाद श्रद्धालु वहां निशुल्क भोजन प्रसाद भी ग्रहण कर रहे हैं।
अंगद टीला और अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़
रामलला के जन्मोत्सव के बाद अंगद टीले की ओर भक्तों की संख्या बढ़ी, जिससे थोड़ी देर के लिए प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन फिर दर्शन के लिए छूट दे दी गई। हालांकि, गर्मी और तेज धूप के कारण श्रद्धालु दर्शन के बाद जल्दी से अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे थे। इस कारण दर्शन-पूजन का क्रम सुचारु रूप से चल रहा है। राम मंदिर के अलावा कनक भवन, हनुमानगढ़ी, राम की पैड़ी, नागेश्वरनाथ और अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी संख्या देखने को मिल रही है।
सूर्यदेव और प्रभु श्रीराम का दिव्य दर्शन
जैसा कि त्रेता युग में प्रभु श्रीराम के अवतरण पर समस्त देवताओं के साथ सूर्यदेव भी उन्हें निहारते रह गए थे, वैसा ही दृश्य इस कलियुग में भी देखने को मिल रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सूर्यदेव स्वयं प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए व्याकुल हो उठे हैं। यह अद्भुत दृश्य विज्ञान और भक्ति का संगम है, जो श्रद्धालुओं के मन को मोह लेता है।
