राहुल गांधी का कहना था कि उन्हें यह स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं है कि 1990 के दशक से कांग्रेस वंचित वर्गों के हितों की उस तरह से रक्षा नहीं कर पाई जिस तरह उसे करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, हमने दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों का विश्वास बरकरार रखा होता तो आरएसएस कभी सत्ता में नहीं आती…इंदिरा गांधी जी के समय पूरा भरोसा बरकरार था। दलित, आदिवासी, पिछड़ों और अल्पसंख्यक सब जानते थे कि इंदिरा जी उनके लिए लड़ेंगी।
उन्होंने कहा, 1990 के बाद विश्वास में कमी आई। इस वास्तविकता को कांग्रेस को स्वीकार करना पड़ेगा…कांग्रेस ने जिस प्रकार से आपके हितों की रक्षा करनी थी वो नहीं की। इस बयान से मुझे नुकसान हो सकता है, लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि यह सच है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने दलित समुदाय के लोगों से कहा, कांग्रेस में पहले आंतरिक क्रांति लानी पड़ेगी जिसमें हम आप लोगो को (संगठन में) शामिल करें। उन्होंने दावा किया कि हिंदुस्तान की शिक्षा व्यवस्था कभी भी दलितों और पिछड़ों के हाथ में नहीं रही।
राहुल गांधी ने यह भी कहा, मौजूदा ढांचे में दलित और पिछड़ों की समस्याएं हल नहीं होने वाली हैं क्योंकि भाजपा और आरएसएस ने पूरे सिस्टम को नियंत्रण में ले लिया है। उन्होंने कहा कि दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों के लिए ‘दूसरी आजादी’ आने वाली है जिसमें सिर्फ राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए नहीं लड़ना है, बल्कि संस्थाओं और कॉरपोरेट जगत में हिस्सेदारी लेनी होगी।
राहुल गांधी ने यह आरोप भी लगाया कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह ही दलित विरोधी हैं। उन्होंने कहा, मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूं कि जब केजरीवाल जी (राजनीति में) आए तो मैंने शुरुआत में उन्हें समझने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, मुझे समझ आया कि केजरीवाल भी नरेन्द्र मोदी की तरह एंटी रिजर्वेशन और एंटी दलित हैं। ये मोदी जी से थोड़ा ज्यादा परिष्कृत हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, भाजपा वाले पूरी तरह फ्रॉड हैं, ये देश को नहीं चला सकते।
